Friday 20 July 2012

सिद्धाश्रम

सिद्धाश्रम अर्थात सिद्ध+आश्रम ,ज्यो सिद्धो कि भूमि है,ज्यो रुशियोकी कि तपस्थली है,ज्यो देवतओं कि पुण्य भूमि है,जहा हजारों वर्ष कि आयु प्राप्त योगी तपस्यारत तथा सशरीर विचरण करते है,ज्यो सुगंधमय ,सुरभिमय ,प्रान्श्येत्नामय है............
जहा करोडो गुना आनंद है,सौंदर्य हो और माधुर्य हो उसे शब्दों मे कैसे बाँधा जा सकता है ? उसकी महत्ता समज सकते है.........और उसे समजने कि क्रिया परिपूर्णता है,और यह परिपूर्ण हो जाने कि क्रिया सिद्धाश्रम जाने कि क्रिया है.

ज्यो भाई /बहन रोज गुरुमंत्र का जाप करते है और साथ मे ही कुछ आवश्यक साधनाए करते है,और उन्हें अपनी साधनाओ मे सफलता ना मिले तो वह साधक सिद्धाश्रम पंचम का पाट करे और साथमे अगर ''
ओम ह्रीं सिद्धाश्रमाय पुर्णात्व साफल्यम ह्रीं निं नम:''
मंत्र का जाप करे तो सफलता मे वृद्धि होती है,मंत्र कि शक्तिया बढती है,और सिद्धाश्रम के योगियोका साथ भी मिलता है व मार्गदर्शन भी मिलता है.यह मंत्र पूर्ण चैतन्य है.और अनुभुतित भी है.........................

आप सभी का इस ग्रुप मे स्वागत है,कृपया अनुशासन का पालन करे.
अपनी अनुभूतिया हमारे साथ मिलकर बाटे और हम सभी को प्रतिकक्षा है.......

साथ मे आप अपना ज्योतिषीय मार्गदर्शन भी करे..............

जय गुरुदेव,जय निखिलेश्वर,जय सिद्धाश्रम......................

No comments:

Post a Comment