सम्पूर्ण रोग निवारण साधना
चाहे कितने भी लोग धनवान क्यू न होजाये
उनमे कोई बीमारी होगी तो यह भी एक प्रकार से दुर्भाग्य ही है और आजकल बच्चो से
लेकर बुजुर्ग तक बीमारिया देखने मिलती है,येसी समय मे यह साधना
प्रयोग अपनी तीव्रता की साथ रोग बाधा से मुक्ति दिलाती है॰
मैंने कई साल तक रोग बाधा दूर करनेवाली
येसी तीव्र मंत्र आजतक नहीं देखि है,हा कुछ मंत्र इस
मंत्र से भी तीव्र है परंतु इन्हे यहा नहीं दे सकती हु परंतु यह मंत्र भी वेसे ही
कार्य करती है,इस साधना से इस संसार
की हर बीमारी समाप्त हो जाती है फिर चाहे रोग छोटी हो या बड़ी गंभीर ही क्यू ना
हो.....................
आप चाहे तो यह मंत्र आजमाके देख सकते है,जैसे कोई छोटी सी बीमारी है तो येसी समय मे एक ग्लास पानी
लीजिये और मंत्र १०८ बार बोलकर पाणी मे ३ पे फुक लगानी है और सदगुरुजी से
प्रार्थना कीजिये तुरंत असर देखने मिलेगी॰
मै तो ये बात मानती हु की दुनिया मे
येसी कोई बीमारी ही नहीं है ज्यो इस साधना की माध्यम से दूर नहीं हो सकती है॰
साधना विधि:-
सोमवार की दिन किसी बाजोट पे लाल वस्त्र
बिछानी है॰इस वस्त्र पर सदगुरुजी की चित्र,दुर्गा सप्तशती यंत्र
और किसी भी प्रकार की शिवलिंग स्थापित करनी है साथ मे गणेशजी की स्थापना की जाए तो
अच्छी बात है,तिल के तेल की दीपक
और चन्दन की धूपबत्ति पुजा मे होनी चाहिये॰ सर्वप्रथम गणेश पूजन और साथ मे
२१ बार गणेश जी की मंत्र बोलनी है “ ॐ ग्लौं सिद्धिम
ह्रीं नम: ” ,अब गुरुपूजन करनी है
और गुरुमंत्र की ५ माला जाप आवश्यक है और शिव मंत्र की एक माला “ॐ नम शिवाय” ॰
दुर्गा सप्तशती यंत्र की
पूजन कीजिये और “शिव-शक्ति”
से
रोग बाधा निवारण मंत्र सिद्धि की लिए प्रार्थना कीजिये॰
ध्यान:-
दुर्गे स्मृता हरषी भीतिमशेष जन्तो: ।
स्वस्थै: स्मृता मती-मतिव-शुभां ददासी ॥
दारिद्र्य दु:ख भय हारिणी का त्वदन्या ।
सर्वोपकार करणाय सद्रार्द्र
चित्ता ॥
श्री भगवतीभ्यो नम: ध्यानं समर्पयामी
॥
मंत्र:-
॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं जूं स: अमुक पालय पालय स: जूं श्रीं
क्लीं ह्रीं ऐं ॐ ॥
इस मंत्र की ३ माला करनी है फिर निम्न मंत्र की ११ या २१ माला
मंत्र जाप रोज करनी है जब तक मंत्र की संख्या २७,००० न हो,ये सारी विधि रोज
करनी है और ७ दिन मे या इससे भी कम दीनो मे २७,००० मंत्र
जाप पूर्ण कर सकते है,इस साधना मे
रुद्राक्ष की माला ही सबसे ज्यादा उपयुक्त है॰
सम्पूर्ण रोग निवारण मंत्र:-
॥ ॐ जूं स: अमुक
पालय पालय स: जूं ॐ ॥
अमुक की जगह रोगी व्यक्ति की नाम उच्चारित करनी है,स्वयम के लिए करनी हो तो स्वयम की नाम
ली जा सकती है॰ कुछ और पूछना चाहते है आप तो अवश्य
पूछिये...................................
माला ७ दिन बाद जल मे प्रवाहित कर दीजिये ।
गुरुकृपा ही
केवलम................................
जय निखिलेश्वर..................................................................................