Friday 30 November 2012

साधनात्मक खजाना


साधनात्मक खजाना की सारी साधनाए आपको गूगल पे मिल जायेगी , मैंने सिर्फ इन में से कुछ साधनाए सर्च करकर यहाँ पे डाली है परन्तु ज्यो प्रभावी है बस वही यहाँ पे है। बाकिकी बकवास साधनाए ज्यो सिर्फ एक माध्यम है तंत्र की नाम पर पैसे कमाने की वह साधनाए नहीं डाली व आपके पास इन साधना ओ में सामग्री उपलब्ध हो तो अछी बात है और सामग्री ना भी हो तो चिंता ना करे,मानसिक रूप में ही सारी प्रयोग संपन्न कर लीजिये,अनुभूतियाँ अवश्य ही मिलेगी .............................................................................































कुछ हद तो ये मंत्र भी आपकी सहायता करेगी,विश्वास की साथ प्रयोग संपन्न कीजिये,क्या पता किस मंत्र से आपकी कौनसी कार्य सिद्ध हो जायेगी  ......................................................................................................




सदा खुश रहिये,आपकी मुस्कान ही आपकी तरक्की और सफलता है। 





जय निखिलेश्वर ...............................................................................

Friday 23 November 2012

दुर्गा उपासना


जीवन की व्याख्या ही अपने आप मे एक कठिन बात है,साथ मे जीवन की सारी इच्छाये ही हमे पाप-पुण्य की और अग्रेसर करती है॰ कही येसी भी बाते है जिन्हे सिर्फ एक नाम दी जाती है जैसे ‘तंत्र या तन्त्रोक्त साधना’ पर क्या किसिने ये जान्ने की कोशिश की है की इस साधना की वास्तविकता क्या है ? शायद समय ही नहीं है किसिके पास,इसिलिये सारी साधनात्मक गलतिया हमारे ही नसीब मे लिखी गयी है,क्या मै ये पूछ सकती हु की साधक अपने पतन और प्रगति मे किस गति से चल रहे है। चलो जानेदो गलतिया भूलानेसे ही आगे प्रगति होगी। हमारे सदगुरुजी ने एक बात हमेशा कही है ‘‘माँ जगदंबा की इच्छा रही,तो हम इस साधना विषय पर आगे भी बात करेगे” और सदगुरुजी की इस बात से तो एक बात हमारे समज मे तो आहि जाती है की “ दुर्गा जी की उपासना ” कितनी महत्वपूर्ण है,मै तो सिर्फ इतना ही कहेना चाहती हु की चाहे दुनिया की लाखो साधनाये आप कर लीजिये परंतु अंतता आना है आपको माँ भगवती जी की शरण मे और सदगुरुजी की शरण मे। अगर आप ये बात जानते है तो फिर येसी भटकन क्यू चल रही है मस्तिष्य मे की नवरात्रि आयेगी तभी हम दुर्गाजी की साधना सम्पन्न करेगे , कोई contract sign की है क्या हमने माँ के साथ ? जब येसी कोई बात ना हो तो आज से ही दुर्गा उपासना आवश्यक है , हमने जन्म लेते समय पंचांग नहीं देखि थी और नहीं मृत्यु की समय देखने वाले है क्यूकी जीवन-मृत्यु कोई कहानी नहीं एक पूर्ण सत्य है तो ये बात भी समजनी आवश्यक है की दुर्गा उपासना भी एक पूर्ण सत्य है कोई भी कहानी नहीं। दुर्गा साधना मे मेरी अनुभूतिया आज तक तो 100% ही है आगे माँ जगदंबा की इच्छा । कोई भी भगवती साधक/साधिका विश्व-कल्याण की ही बात करेगे,स्वयं के कल्याण की नहीं , अगर उन्हे साधनात्मक अनुभूतिया हो तो । इस साधना मे कई प्रकार की अनुभूतिया मिलती ही है,संसार मे येसी कोई इच्छा ही बाकी नहीं रहेती है ज्यो हमे नवार्ण मंत्र जाप से ना मिले,नवार्ण साधना साभिकी प्रिय साधना है चाहे फिर वह शिव,विष्णु,ब्रम्ह,इन्द्र,सन्यासी,गृहस्थ या अन्य कोई देवी देवताये ही क्यू न हो। जब यह इतनी प्रिय साधना है तो बाकी साधनात्मक चिंतन तो नहीं होनी चाहिये, आपकी ध्येय आपको ही सोचनी है ताकि लक्ष्य प्राप्ति मे पूर्णता मिले ,मै तो ग्यारंन्टी और चुनौती के साथ बोल सकती हु की मनोकामना पूर्ति हेतु इस्से बड़ी कोई साधना इस पूरे संसार मे ही नहीं है , यह साधना हर मनोकामना पूर्ति की लिये सभी लोको मे प्रचलित साधना है , आज मै जहा तक भी पहोचि हु इस बात की सारी श्रेय मै गुरूसाधना और नवार्ण को ही देती हु अन्य साधना ओ को नहीं,मेरी सारी इच्छाये इन दो ही साधना ओ से मैंने पूर्ण होते हुये देखि है और हुयी ही है,जब येसी साधनाये आपके पास हो और फिर भी आप समस्याओसे ग्रसित है तो इस बात से मै बहोत ज्यादा दुखी हु ……………
इसी विषय पर अब तो आगे भी बात चलेगी,अब हम साधनात्मक बात करते है।
साधना सामग्री:- नवार्ण यंत्र , कार्य सिद्धि यंत्र , स्फटिक माला ,जगदंबा जी का भव्य चित्र , लाल वस्त्र , लाल आसन ।
नोट:ये मत सोचिये की आपके पास की सामग्री चैतन्य है या नहीं है,आपको तो सिर्फ यही बात सोचनी है की कही से भी यह सामग्री शीघ्र ही आपको प्राप्त हो जाये,सामग्री को चैतन्य करने की क्रिया की ज़िम्मेदारी मै लेती हु।

साधना विधि :-


ॐ नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम :।
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्म ताम ॥
यह मंत्र 11 बार बोलनी है ताकि साधनात्मक वातावरण चैतन्य बने,
शुद्धिकरण:-(एक-एक मंत्र उच्चारण की साथ जल पीनी है)
हाथ मे जल लेकर मंत्र बोलिए,
ॐ ऐं आत्मतत्वं शोधयामी नम: स्वाहा ॥
ॐ ह्रीं विद्यातत्वं शोधयामी नम: स्वाहा ॥
ॐ क्लीं शिवतत्वं शोधयामी नम: स्वाहा ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्वं शोधयामी नम: स्वाहा ॥ (बोलते हुये हाथ धो लीजिये)


विनियोग:-


ॐ अस्य श्रीनवार्णमंत्रस्य ब्रम्हाविष्णुरुद्रा ऋषय:गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छंन्दांसी , श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवता: , ऐं बीजम , ह्रीं शक्ति: , क्लीं कीलकम श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो प्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥


विलोम बीज न्यास:-


ॐ च्चै नम: गूदे ।
ॐ विं नम: मुखे ।
ॐ यै नम: वाम नासा पूटे ।
ॐ डां नम: दक्ष नासा पुटे ।
ॐ मुं नम: वाम कर्णे ।
ॐ चां नम: दक्ष कर्णे ।
ॐ क्लीं नम: वाम नेत्रे ।
ॐ ह्रीं नम: दक्ष नेत्रे ।
ॐ ऐं ह्रीं नम: शिखायाम ॥
(विलोम न्यास से सर्व दुखोकी नाश होती है,संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ दहीने हाथ की उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये)


ब्रम्हारूपन्यास:-


ॐ ब्रम्हा सनातन: पादादी नाभि पर्यन्तं मां पातु ॥
ॐ जनार्दन: नाभेर्विशुद्धी पर्यन्तं नित्यं मां पातु ॥
ॐ रुद्र स्त्रीलोचन: विशुद्धेर्वम्हरंध्रातं मां पातु ॥
ॐ हं स: पादद्वयं मे पातु ॥
ॐ वैनतेय: कर इयं मे पातु ॥
ॐ वृषभश्चक्षुषी मे पातु ॥
ॐ गजानन: सर्वाड्गानी मे पातु ॥
ॐ सर्वानंन्द मयोहरी: परपरौ देहभागौ मे पातु ॥
( ब्रम्हारूपन्यास से सभी मनोकामनाये पूर्ण होती है, संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ दोनों हाथो की उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये )

 



ध्यान:-


खड्गमं चक्रगदेशुषुचापपरिघात्र्छुलं भूशुण्डीम शिर:
शड्ख संदधतीं करैस्त्रीनयना सर्वाड्ग भूषावृताम ।
नीलाश्मद्दुतीमास्यपाददशकां सेवे महाकालीकां
यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधु कैटभम ॥

अब हमे जितनी भी जानकारी माँ की प्रति है उसी हिसाब से उनकी नित्य ध्यान और स्तुति करनी है,


निम्न मंत्र 21 बार बोलनी है,


ॐ ह्रीं सर्वबाधा प्रशमनं ,त्रैलोकस्याखिलेश्वरी ।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि , विनाशनम ॥ ह्रीं ॐ ॥ फट स्वाहा: ॥



माला पूजन:-जाप आरंभ करनेसे पूर्व ही इस मंत्र से मालाकी पुजा कीजिये,इस विधि से आपकी माला भी चैतन्य हो जाती है ॰

“ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नंम:’’

ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिनी ।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृहनामी दक्षिणे करे ।
जपकाले च सिद्ध्यर्थ प्रसीद मम सिद्धये ॥

ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देही देही सर्वमन्त्रार्थसाधिनी साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा ।

नवार्ण मंत्र :-


                         !! ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे !!
                ( Aing hreeng kleeng chamundayei vicche )


जप पूरा करके उसे भगवतीजी की चरणोमे समर्पित करते हुए कहे


गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम ।
सिद्धिर्भवतू मे देवी त्वत्प्रसादान्महेश्वरी ॥


नवार्ण मंत्र की सिद्धि 9 दिनो मे 1,25,000 मंत्र जाप से होती है,परंतु आप येसे नहीं कर सकते है तो रोज 3,5,7,11,21………….इत्यादि माला मंत्र जाप भी हम कर सकते है,इस विधि से सारी इच्छाये पूर्ण होती है,सारी दुख समाप्त होती है और धन की वसूली भी सहज ही हो जाती है। हमे शास्त्र की हिसाब से यह सोलह प्रकार की न्यास देखने मिलती है जैसे ऋष्यादी ,कर ,हृदयादी ,अक्षर ,दिड्ग ,सारस्वत ,प्रथम मातृका ,द्वितीय मातृका ,तृतीय मातृका ,षडदेवी ,ब्रम्हरूप ,बीज मंत्र ,विलोम बीज ,षड ,सप्तशती ,शक्ति जाग्रण न्यास और बाकीकी 8 न्यास गुप्त न्यास नाम से जानी जाती है,इन सारी न्यासो की अपनी एक अलग ही अनुभूतिया होती है,उदाहरण की लिये शक्ति जाग्रण न्यास से माँ सुष्म रूप से साधकोके सामने शीघ्र ही आ जाती है और मंत्र जाप की प्रभाव से प्रत्यक्ष होती है और जब माँ चाहे किसिभी रूप मे क्यू न आये हमारी कल्याण तो निच्छित है।
यहा से आगे भी एक और साधना हमे सदगुरुजी की असीम कृपा से सदगुरुजी की श्रीमुख से प्राप्त हुयी है,यह साधना बहुत ही अद्वितीय है। जिसे हमे आगे की साधनाओमे करनी है........
( नोट:-कृपया अनुष्ठान की रूप मे साधना करते समय कलश स्थापना आवश्यक मानी जाती है , इस बात की ध्यान रखिये )



गुरुकृपा ही केवलम, गुरुकृपा ही केवलम, गुरुकृपा ही केवलम………………………..








जय निखिलेश्वर....................

Tuesday 20 November 2012

नशे से मुक्ति अभियान जरूरी है


आप सभी ने इतनि  प्रेम दियी  है मुजे की अब तो आपसे डिमांड बढ़ गयी है,और डिमांड ये है की भारत से नशे को भगाने में मेरी मदत कीजिये।
हमारी तंत्र शास्त्र मे एक प्रयोग हमारी सामने इस प्रकार से आती है की हमारी मनोकामनाये शत-प्रतिशत पूर्ण होती है परंतु इस बार हमे हमारे लिए नहीं बल्कि जिन्हे नशे ने जकड़ के रखा है उनके लिये यह तंत्र की प्रयोग करनी है,इसमे सिर्फ एक ही बात आवश्यक होती है वह है समय की ज्ञान ज्यो परफेक्ट हो,और यह योग इस बुधवार की दिन है।



साधना विधि:- किसी भी काले रंग की वस्त्र मे ७ लौंग की साथ जिस चीज से आप को नशे से मुक्ति पानि है या देनी है वह वस्तु (शराब की जगह शराब की शीशी शराब भरकर होनी चाहिये),और ३ कपूर की वडी ,एक पुष्प बांधकर रखनी है,अब अपनी मनोकामना बोलिये और यह पोटली खोल दीजिये,फिर एक पुष्प इस पोटली मे चढ़नी है,साथ मे कालभैरव जी से प्रार्थना भी करनी है की ‘’मै अमुक गोत्र का व्यक्ति अमुक व्यक्ति की अमुक बुरी आदत की लिये यह कालभैरव युक्त महाकाली प्रयोग सम्पन्न कर रहा हु/कर रही हु’’
अमुक गोत्र की जगह अपनि गोत्र बोलनी है और अमुक व्यक्ति जगह नशा करने वाली व्यक्ति की नाम।
और निम्न मंत्र की किसी भी तेल की दीपक की समाने लौ को देखते हुये ११ माला मंत्र जाप रात्री मे ७-८ की बीच मे करनी है। साधना समाप्ती के बाद यह पोटली बांधकर किसी भी निर्जन स्थान मे डाल दीजिये परंतु दक्षिण दिशा मे ।

मंत्र:-


              । ।  क्रीं क्रीं भ्रं भ्रं कार्य सिद्धिम भ्रं भ्रं क्रीं क्रीं फट । ।







गुरुकृपा ही केवलम , गुरुप्रसन्नता ही केवलम..............................



जय निखिलेश्वर............................................................

Friday 16 November 2012

भाग्योदय लक्ष्मी साधना ॰



   


जय सदगुरुदेव .................


आशा करती हु की आपकी दिवाली मंगलमयी ही हुयी हो,अभी तक आपने बहोत सी लक्ष्मी साधना ये की हुयी है परंतु परिणाम तो कही ना कही उतनी ही मिली है जितनी आपकी आमनी है या फिर बढ़ोतरी मिली है या थोड़ी बहुत कही से अप्रत्यक्ष लाभ हुयी हो। अगर यही स्थिति रही लक्ष्मी जी की कृपा की तो आनेवाली समय मे ये महेंगाइ नाम की ड़ायन हम साभिकों खा जायेगी॰ सभी सिद्धों ने एक बात कही है की लक्ष्मी जी चंचला है और येसे लक्ष्मी की कृपा से जीवन जीने की कोई कला प्राप्ति नहीं हो सकती है,जब स्थिर लक्ष्मी जी की कृपा हो जायेगी तो सम्पूर्ण जीवन मे अंधकार दूर होकर जीवन मे गतिमान प्रकाश होगी मतलब सारी सुख और समृद्धि की प्राप्ति होगी॰ येसे  जीवन की प्राप्ति सारे दुखो को समाप्त कर देती है।
भाग्योदय लक्ष्मी साधना अपने आप मे तीव्र गति से भाग्योदय प्राप्ति की अनुभूतित साधना है,यह प्रयोग कार्तिक माह की पंचमी तिथि से करनी है,इस दिवस को पांडव पंचमी,सौभाग्य पंचमी और भाग्योदय पंचमी भी कहेते है और यह प्रयोग अचूक है,इस प्रयोग को करनेसे घर की सारी धन की प्रति आनेवाली चिंताये समाप्त हो जाती है॰आश्चर्यजनक रूप से व्यापार वृद्धि ,आर्थिक उन्नति ,प्रमोशन ,भाग्योदय और लाभ प्राप्त होने लगती है॰ वास्तव मे ही यह प्रयोग आज की महेंगाइ मे कल्पवृक्ष की समान है ।

साधना विधि:-
           यह साधना 18/11/2012 से 20/11/2012 इन तीन दीनों मे सम्पन्न करनी है,साधक रविवार की सुबह ब्रम्ह मुहूर्त मे स्नान करके पीले वस्त्र धारण करके साधना मे बैठ जाये,सामने किसी बाजोठ पे पीले रंग की वस्त्र बिछाये और महालक्ष्मी जी की कोई दिव्य-भव्य चित्र स्थापित करे,अब सामने भोजपत्र पे ऊपर दिये हुये भाग्योदय लक्ष्मी यन्त्र की निर्माण अष्ठगंध से अनार की कलाम से कीजिये, यह यन्त्र अपनी दोनों हाथो मे पकड़कर लक्ष्मी-चैतन्य मंत्र 108 बार बोलिये और यन्त्र किसी स्टील की बड़ी सी प्लेट मे स्थापित कीजिये,अब अनार की कलम से यंत्र की आजू-बाजू मे 108 बार श्रीं अक्षर लिखनी है,अब इसी श्रीं अक्षर की ऊपर हल्दी+केसर से रंगी हुयी चावल स्थापित करनी है ताकि कोई भी अक्षर हम देख ना सके सिर्फ यन्त्र ही दिखनी चाहिये,अब यंत्र की मानसिक पद्धति से पूजन कीजिये,और सदगुरुजी से प्रार्थना कीजिये की इस साधना मे आपको पूर्ण सफलता ही प्राप्त हो,अब यन्त्र पे एक गोमती चक्र स्थापित कीजिये।  
यह पूर्ण विधि-विधान सिर्फ एक ही दिन करनी है,और तीसरे दिन इस गोमती चक्र को चाँदी की लॉकेट मे बनवाकर लाल धागे मे एक वर्ष तक गले मे धारण करनी है ॰ और जो चावल आपने अक्षर पर चढ़ाये हुये है इन्हे किसी भी रंग की पोटली मे बांधकर नदी या सरोवर पर ले जायिये ॰ नदी की पानी मे उतरकर यह चावल आपको अपने सिर पे थोड़े-थोड़े करते हुये छिड़कने है परंतु चावल पनि मे ही गिरने चाहिये इस बात की विशेष ध्यान रखनी है  ॰ 





लक्ष्मी चैतन्य मंत्र 

!! ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं चैतन्यम कुरु जाग्रय जाग्रय श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ फट !!


भाग्योदय लक्ष्मी साबर मंत्र:-


ॐ लिछमी कील महालछमी किलूं किलूं जगत संसार न किले तो वीर विक्रमादित्य की आण ! ठं ठं ठं 



इस मंत्र की 3 माला जाप 3 दिन तक करनी है,जब साधना पूर्ण हो जाए तब भोज़पत्र पे अंकित यंत्र को साधना कक्ष मे या पूजा स्थान मे स्थापित कर दीजिये और यन्त्र के नीत्य दर्शन कीजिये.......



वास्तव मे ही यह प्रयोग अपने आप मे अचूक और सौभाग्यप्रद है,आपकी अनुभूतिया आपको साधना समाप्ती होते ही 7 दिन की अंदर ही आपको शेयर करनी है,हम सभी को आपके भाग्योदय होने की इंतेजार है। यन्त्र जल्दी ही पोस्ट कर दुगी।
 



जय निखिलेश्वर..........................................................................