Saturday 21 July 2012

पूर्ण शिष्यत्व प्राप्ति साधना.

  यह साधना गुरुपूर्णिमा कि अवसर पे कि जा सकती है,साधना पूर्णता दुर्लभ और गोपनीय है और मेरी जीवन कि सबसे महत्वपूर्ण साधना है . जिस तरहा गुरु-शिष्य क सम्बध है उसी तरहा इस साधना का सम्बध मेरी प्राणो से जुडा हुआ है . यह साधना हमारे पिताश्री जी को सदगुरुजी के प्रिय शिष्य “ परम पुजनीय श्री योगी डालानन्दजी “ से 1999 प्राप्त हुयी थी . मेरी पापाजी कि व्याकुलता को देखते हुये यह साधना उन्हे प्रदान कि गयी थि और मैने 2004 मे पहीली बार सम्पन्न की थी.यह अदभूत साधना है जिस तरहा गुरु अपने शिष्यो को ज्ञान देकर पूर्णत्व प्राप्ति कि और अग्रेसर कर देते है उसी तरहा गुरुक्रुपा से यह साधना हमें शिष्य बनने कि और अग्रेसर बना देती है. हमारे ज्ञान मे वृद्धि कर देती है और विषेश बात ये है कि हमें सदगुरुजी से मार्गदर्शन प्राप्ती मे पूर्ण सफलता मिलती हि है इस बात मे कोइ शंका नहीं है . आप जब भी पूर्ण शिष्य बनना चाहेगे तो येही साधना आपको सद्गुरुजी का प्रिय शिष्य बना देगी .या फिर यह साधना नहीं करना चाहते है तो फिर ‘’ स्व-समर्पण ‘’ क्रिया हि काम आ सकती है जिसमे गुरुजी परीक्षा लेते हि है.यह बात डराने कि लिये नही है परंतु सच्चाइ है .

1) सदगुरुजी को गुरुकार्य करने वाले शिष्य/शिष्याये बहोत ज्यादा प्रिय है .
2) साधनाये सम्पन्न करने वाले शिष्य/शिष्याये भी बहोत ज्यादा प्रिय है .
3) दिक्षा लेने वाले शिष्य/शिष्याये भी बहोत ज्यादा प्रिय है .
यह अनुक्रमनिका है प्रिय शिष्य/शिष्या बनने की ,और यह बात सिर्फ किसी समर्पीत शिष्य/शिष्या मे ही देखने मिलेगी . इस साधना कि कुछ आवश्यक बाते ये है कि साधना मे प्रेमभाव ह्रिदय मे होनी चाहिये ताकी पूर्ण सफलता मिल सके.

साधना विधी :-
सर्वप्रथम ब्रम्हमुहुर्त मे स्नान कर लिजिये और साथ मे दैनिक गुरुपूजन एवं गुरुमंत्र कि 5 मालाये जाप करनी है.फिर कोइ येसा पात्र (स्टील कि बर्तन) लिजिये जिसे पानी से भर सके.इस पात्र के मध्य मे केशर से स्वास्तिक बनानी है और एक सुपारी स्वास्तिक कि मध्य मे स्थापित किजीये,अब इस पात्र को सुर्य यंत्र मानते हुये मानसिक सुर्य पूजन किजीये.पूजन के बाद पात्र मे जल भर दिजिये और जल देवता से प्रार्थना किजिये कि आपकी प्रत्येक इच्च्या पूर्ण हो.अब पात्र मे ज्यो स्वस्तिक बनाया है उसमे सुर्य भगवान (छवी) को देखिये ज्यो सुबह हम पानी देख सक्ते है,इसके लिये आपको साधना कि बैठने व्यवस्था मे adjustment  करनी होगि.फिर गुरुमंत्र कि मालासे 11 कम से कम मालाये निम्न मंत्र कि करनी है .और जाप करते समय हमारी द्रुष्टी स्वास्तिक पे होनि चाहिये .जाप करते समय अगर आंखोसे पानी निकले तो उन बुन्दो को पात्र मे गिरने दिजिये ताकी वह अश्रु हमारे प्यारे सद्गुरुजी कि श्रीचरणकमलोमे जल देवता कि माध्यम से पहोच जाये.

इस साधना मे सद्गुरुजी ने वचन दिया हुआ है कि “ आपकी यह अमुल्य अश्रु कि बुन्दे सिधे मेरी चरणोमे हि समर्पीत होगी “.....................

साधना समाप्ति कि बाद जल को किसी निर्जन स्थान पे विसरर्जीत किजीये.

साधना का समय सुबह 6:30 से 7:30 तक . 


mantra:-


॥ ॐ घ्रुणी परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम : ॥

jay nikhileshwar.................................

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