अघोर भैरवी साधना
अगर दुर्भाग्य साथ न छोडे और हर कदम पर बाधा बनकर उपस्थित हो,हर तरफ से जिवन मे खूशीया कौन नहि चाहते है परंतु पूर्वजन्म के येसे भि दोष है हमारे ज्यो हमे रुलाते है,ज्यो हमे शिष्य नहि बल्कि अनुयायि बनाते है.अब तो इन सारि दोषो से लढना है,नहि तो ये दोष हमे ज्योतीष्यीयो के गुलाम बना देगे.गुरु और इष्ट मे अविश्वास का जन्म कर देगे.
भगवान से भिक मांगना ये शिष्यो के कार्य नहि है.येसि अनुमति हमारे सदगुरुजी हमे नहि देते है..................................
’’ ब्रम्हांड से कह दो हमे भक्ति नहि साधना चाहिये ‘’ ये बात सद्गुरुजि ने कहि थि.....................
जिवन मे खूशिया सदगुरुजी कि क्रुपा आर्शिवाद से हि मिल सकति है. और उन्हिकि क्रुपा से मिलि है अघोर भैरवी साधना ज्यो अत्यंत प्रभावि है और जिवन कि सारि बाधाओको दुर कर देति है दोषो सहित.
साधना सामग्री :- कालि हकीक माला, मट्टि का दीपक , काले वस्त्र और आसन ,कपूर .
विधि :- सर्वप्रथम स्नान करके साधना मे प्रवेश किजिये ,दक्षिण दिशा कि और मुख करते हुये साधना करनी है. अघोर भैरवी साधना से पूर्व हि गुरुपूजन एवँ गुरुमंत्र जाप और निखिल रक्षा कवच कि पाठ आवश्यक है. मट्टि कि दीपक मे कपूर जलाये और अग्नि कि लौ को देखते हुये कालि हकिक माला से 9 मालाये जाप 8 दिन करनी आवश्यक है और 9 वे दिन हवन किजिये ( हवन मे आहुति के लिये काले तिल, लौंग, कालि मिर्च का हि उपयोग करे ) तभी साधना पूर्ण मानी जाति है ,यह साधना गुप्त नवरात्रि मे करनी है , किसि विशेष मनोकामना हेतु हम संकल्प ले सकते है.
मंत्र : -
॥ ॐ अघोरे ऎँ घोरे ह्रीँ सर्वत: सर्वसर्वेभ्यो घोरघोरतरे श्री नमस्तेस्तु रुद्ररुपेभ्य: क्लीँ सौ: नम: ॥
साधना समाप्ति के बाद माला को जल मे किसी भि काले वस्त्र मे एक नारियल और सुपारि कि साथ बान्धकर विसर्जित किजिये.और जिवन मे कोइ भि समस्या आये तो इसि दीपक मे थोडि कपूर जलाते हुये अपनि समस्या बोलकर थोडि मंत्रा जाप कर लिजिये किसी भि समय मे अनुकुलता प्राप्त होगि.
इस साधना को करते समय मे बडि विचित्र अनुभूतिया देखनि मिल सकति है.ज्यो किसीके पास plz share मत किजिये.
जय निखिलेश्वर...............................................................
Friday 20 July 2012
अघोर भैरवी साधना
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Aati uttam sahna hai shalini ji
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