Tuesday 18 December 2012

दुर्गा सप्तशती साधना प्रयोग-४


                           सम्पूर्ण रोग निवारण साधना

 

चाहे कितने भी लोग धनवान क्यू न होजाये उनमे कोई बीमारी होगी तो यह भी एक प्रकार से दुर्भाग्य ही है और आजकल बच्चो से लेकर बुजुर्ग तक बीमारिया देखने मिलती है,येसी समय मे यह साधना प्रयोग अपनी तीव्रता की साथ रोग बाधा से मुक्ति दिलाती है॰

मैंने कई साल तक रोग बाधा दूर करनेवाली येसी तीव्र मंत्र आजतक नहीं देखि है,हा कुछ मंत्र इस मंत्र से भी तीव्र है परंतु इन्हे यहा नहीं दे सकती हु परंतु यह मंत्र भी वेसे ही कार्य करती है,इस साधना से इस संसार की हर बीमारी समाप्त हो जाती है फिर चाहे रोग छोटी हो या बड़ी गंभीर ही क्यू ना हो.....................

आप चाहे तो यह मंत्र आजमाके देख सकते है,जैसे कोई छोटी सी बीमारी है तो येसी समय मे एक ग्लास पानी लीजिये और मंत्र १०८ बार बोलकर पाणी मे ३ पे फुक लगानी है और सदगुरुजी से प्रार्थना कीजिये तुरंत असर देखने मिलेगी॰
मै तो ये बात मानती हु की दुनिया मे येसी कोई बीमारी ही नहीं है ज्यो इस साधना की माध्यम से दूर नहीं हो सकती है॰


साधना विधि:-

सोमवार की दिन किसी बाजोट पे लाल वस्त्र बिछानी है॰इस वस्त्र पर सदगुरुजी की चित्र,दुर्गा सप्तशती यंत्र और किसी भी प्रकार की शिवलिंग स्थापित करनी है साथ मे गणेशजी की स्थापना की जाए तो अच्छी बात है,तिल के तेल की दीपक और चन्दन की धूपबत्ति पुजा मे होनी चाहिये॰ सर्वप्रथम गणेश पूजन और साथ मे २१ बार गणेश जी की मंत्र बोलनी है ॐ ग्लौं सिद्धिम ह्रीं नम: ,अब गुरुपूजन करनी है और गुरुमंत्र की ५ माला जाप आवश्यक है और शिव मंत्र की एक माला ॐ नम शिवाय

दुर्गा सप्तशती यंत्र की पूजन कीजिये और शिव-शक्तिसे रोग बाधा निवारण मंत्र सिद्धि की लिए प्रार्थना कीजिये॰


ध्यान:-
       दुर्गे स्मृता हरषी भीतिमशेष जन्तो: ।
            स्वस्थै: स्मृता मती-मतिव-शुभां ददासी ॥
        दारिद्र्य दु:भय हारिणी का त्वदन्या ।
                  सर्वोपकार करणाय सद्रार्द्र चित्ता ॥
                         
        श्री भगवतीभ्यो नम: ध्यानं समर्पयामी ॥

मंत्र:-


॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं जूं स: अमुक पालय पालय स: जूं श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं ॐ ॥


इस मंत्र की ३ माला करनी है फिर निम्न मंत्र की ११ या २१ माला मंत्र जाप रोज करनी है जब तक मंत्र की संख्या २७,००० न हो,ये सारी विधि रोज करनी है और ७ दिन मे या इससे भी कम दीनो मे २७,००० मंत्र जाप पूर्ण कर सकते है,इस साधना मे रुद्राक्ष की माला ही सबसे ज्यादा उपयुक्त है॰


सम्पूर्ण रोग निवारण मंत्र:-



       ॥ ॐ जूं स: अमुक पालय पालय स: जूं ॐ ॥



अमुक की जगह रोगी व्यक्ति की नाम उच्चारित करनी है,स्वयम के लिए करनी हो तो स्वयम की नाम ली जा सकती है॰ कुछ और पूछना चाहते है आप तो अवश्य पूछिये...................................
माला ७ दिन बाद जल मे प्रवाहित कर दीजिये ।


गुरुकृपा ही केवलम................................




जय निखिलेश्वर..................................................................................



 

Wednesday 12 December 2012

दुर्गा सप्तशती यंत्र साधना प्रयोग-३


                         नौकरी व धन प्राप्ति साधना





आज की युग मे कई येसे लोग है ज्यो की बहुत ज्यादा पढे लिखे है परंतु उन्हे उनकी योग्यता की अनुसार नौकरी नहीं मिल पाती है,और जिनहे नौकरी मिल जाती है उन्हे बढ़ोतरी नहीं मिलती है॰

तो कुछ लोग येसे है उन्हे पैसे कमाने की संधि नहीं मिलती है,और कुछ लोगो के पास तो ज्ञान नहीं होती है,तो किसिकी व्यवसाय नहीं चलती है,तो कुछ बिचारे घर पे ही बैठकर इंतेजार मे है की कुछ तो संधिया मिलेगी,अब येसी स्थिति मे आप की मदत माँ नहीं करेगी तो और कौन करेगी॰

एक बार माँ से प्रार्थना तो कीजिये और साथमे यह साधना भी.....................


साधना विधि:-


              यह साधना शनिवार की दिन से शुरू करनी है,और साधना की समय है शाम को ६:३० से ८,आसन और वस्त्र पीले या लाल रंग की,माला लाल मूंगा या रुद्राक्ष,जप संख्या ८ दिन मे 10,000 मंत्र जाप,रोज माला की संख्या पहिलेसेही निर्धारित कीजिये॰किसी बाजोत पे वस्त्र बिछाकर दुरगजी की चित्र स्थापित कीजिये और दुर्गा सप्तशती यंत्र भी,अब गणेश पूजन करनी है फिर गुरुपूजन और गुरुमंत्र जाप,गुरुजी से साधना सफलता की लिये प्रार्थना कीजिये,इस साधना मे चमेली के तेल की दीपक और लाल गुलाब के फूल आवश्यकता है,अब हाथ मे जल लेकर माँ से अपनी मनोकामना बोलनी है और वह जल माँ की चरणो मे समर्पित कीजिये.....................


मंत्र:-


ॐ ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंह-वाहिनी । बीस-हस्ती भगवती, रत्न-मण्डित सोनन की माला । उत्तर-पथ में आप बैठी, हाथ सिद्ध वाचा ऋद्धि-सिद्धि। धन-धान्य देहि देहि, कुरु कुरु स्वाहा ।





 जय निखिलेश्वर ................................


Tuesday 11 December 2012

दुर्गा सप्तशती यंत्र प्रयोग-२.


                               

                               शिव दर्शन साधना



mantra:-

                         ॥ ॐ ह्रीं श्रीं हर हर स्वाहा ॥

               ................॥ ॐ ह्रीं श्रीं हर हर स्वाहा ॥.................. 

                         ॥ ॐ ह्रीं श्रीं हर हर स्वाहा ॥

         ........................ ॥ ॐ ह्रीं श्रीं हर हर स्वाहा ॥

        ...........................॥ ॐ ह्रीं श्रीं हर हर स्वाहा॥....................... 

                         ॥ ॐ ह्रीं श्रीं हर हर स्वाहा ॥.....................................



21 माला मंत्र जाप किसी भी चतुर्दशी की तिथि से लेकर अगली चतुर्दशी तक कीजिये,सामने किसी भी प्रकार की शिवलिंग भी होनी चाहिये और दुर्गा सप्तशती यंत्र भी होनी चाहिये॰

सर्वप्रथम दुर्गा सप्तशती यंत्र की पूजन कीजिये,और माँ से शिवदर्शन की प्रार्थना कीजिये॰ अब कोई भी एक लाल रंग की पुष्प को हाथ मे पकड़कर निम्न मंत्र की 5-10 मिनिट तक जाप करनी है,

॥ ॐ क्लीं ह्रीं चंडीके मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु ह्रीं क्लीं नम:॥


अब पुष्प को यंत्र पे चढ़ाते हुये फिर से शिवदर्शन की कामना कीजिये,अब 11 बार ॐ ह्रीं नम शिवाय ह्रीं ॐ मंत्र से शिवजी पर जल चढ़ाये फिर जल को ग्रहण करते हुये 

रं चैतन्यम जाग्रय जाग्रय रं फट 


मंत्र 3 बार बोलनी है,अब शिवपुजन कीजिये और शिवदर्शन प्राप्ति मंत्र की 21 माला जाप रुद्राक्ष माला से कीजिये,दिशा पूर्व या उत्तर ,वस्त्र सफ़ेद,साधना की समय ब्रम्हमुहूर्त या फिर रात्री मे 9:36 की बाद वाली कोई भी समय 12:36 से पहिले तक की,रोज साधना समाप्ती के बाद शिवजी पर 108 बिल्वपत्र चढ़ानी आवश्यक है,यह विधि नित्य कीजिये ।
आपकी शिवदर्शन की इच्छया अवश्य ही पूर्ण होगी………………………………..

गुरुकृपा ही केवलम......................................


जय निखिलेश्वर........................................................................................................

Saturday 8 December 2012

दुर्गा सप्तशती यन्त्र साधना प्रयोग-1


दुर्गा सप्तशती यन्त्र विधान मैंने अभी अभी हमारे ग्रुप एडमिन जी के पास दी हुयी है,अब इसी विषय पर एक तंत्रोक्त नवग्रह शांति प्रयोग,ज्यो सिर्फ इसी यन्त्र सामग्री पर संभव है,और इस साधना में आवश्यक है मूंगा माला,इस प्रयोग बाद जीवन की सभी प्रकार की आनंद की अनुभूतिया संभव है,यह साधना मंगलवार दिवस  की शुक्ल पक्ष  से शुरू करतानी है,वस्त्र लाल रंग की होनी चाहिए,यह प्रयोग 11 दिन की है और 11 माला 2 समय जाप करनी है,सुबह में 5-7 की समय में और रात्रि में 9-11 बजे कि समय निच्चित है,दिशा पूर्व।
यह यन्त्र आपको जीवनभर कार्य में उपयोगी होगी,इसीलिए यन्त्र को ताम्र पत्र या फिर चांदी की पत्र पर अंकित करेगे तो अच्छी बात है।


मंत्र :-


                ॐ  ह्रीं नमो भगवती सर्व-द्रुष्टग्रहान बंधय बंधय स्वाहा ।।



नवग्रह साधना की क्या लाभ होनी चाहिये और होती है यह आप अच्छी तरह से जानते है।




गुरुकृपा ही केवलम ...................................

जय निखिलेश्वर .......................................................................

Thursday 6 December 2012

भाग्य जागरण संभव है




हम लोग कई साधनाये करते है परंतु क्या किसिका भाग्य जागरण हुआ है, नहीं हुआ है और नहीं होगा क्यूकी मस्तिष्य मे एक भटकन है ज्यो आपको सफल नहीं होने देती है। जबकि मेरी भाषा मे भटकन से बड़ी इस दुनिया मे और कोई पाप है ही नहीं...........
एक छ्योटीसी कहानी बताती हु.

एक राजा थे जिनके पास बहोत ज्यादा संपत्ति थी और उनकी मित्रता देवी-देवताओ से थी,एक दिन राजा और शनि देव साथ मे किसी विशेष प्रकार एक खेल खेल-रहेते,तो उस समय शनि देव खेल मे हार गये और शनिजी पे सभी की हसी की कारण उन्हे बहोत ज्यादा गुस्सा आ गया,तब शनिजी ने राजा से कहा हे राजन , ज्यादा हसो मत कुछ ही डीनो मे मई तुम्हारी राशि मे आ रहा हु और तुम्हें मेरी साढ़ेसाती चालू हो जाएगी॰ परंतु तुम मेरे मित्र हो इसीलिये मेरी टेढ़ी दृष्टि से बचने की लिए तुम मुजे कोई भी एक वरदान मांगो,ताकि तुम्हें राहत मिले येसा कहेते हुये शनि देव अंतरध्यान हो गये। अब राजाजी सोच मे पद गए की येसे समय मे मई क्या कर सकता हु,तब उन्होने सोचा की मै यह बात अपनी तीनों रानियो को बताऊ ताकि वही हल निकाल दे।
राजाजी ने यह बात अपनी पहिली रानी को बताई तो इस पे उन्होने कहा की आप शनि देव जी से बहोत सारी धन मांगो,क्यूकी आपके पास धन रही तो आपको हर कोई मान-सम्मान देगे और राज्य भी अच्येसे चल सकेगी,सभी कार्य सुख-सुविधा से संपन्न होगे,हर सुख आपके पास होगी।
फिर यह बात उन्होने अपनी दूसरी रानी को बताई तो इस पे उन्होने कहा की आप शनि देवजी से उत्तम आरोग्य मांगिये,अगर आरोग्य ही न हो तो धन का क्या कर सकते,सारी धन तो स्वस्थ शरीर मे ही खर्च हो जायेगी
फिर यह बात उन्होने अपनी दूसरी रानी को बताई तो इस पे उन्होने कहा की आप शनि देवजी से उच्च कोटी की ज्ञान और सदबुद्धि मांगिये,अगर आपके पास ज्ञान व सदबुद्धि हो तो आरोग्य और धन की हानी कभी हो ही नहीं सकती
इस प्रकार से तीनों रानीयो की बात सुनकर राजा ने शनिदेवजी से उच्च कोटी की ज्ञान एवं सदबुद्धि की वरदान मांगी,राजा की कथन सुनकर शनिजी ने कहा हे राजन आप फिर से एक बार जीत गये, अब आपकी साढ़ेसाती मे कुछ भी हानी नहीं हो सकती है। जब मै आपको ज्ञान और सदबुद्धि दे दुगा तो आप मेरे हर कष्ट से बच जायेगे,क्यूकी जिसके पास ज्ञान और सदबुद्धि हो वह इस संसार मे कभी दुखी नहीं हो सकता,उसके पास हर बात से लढने की क्षमता होती है,मै ही नहीं बल्कि हम नवग्रह देवता हर प्राणी को येसी बुद्धि को चालना देते है की उसके हाथ से पाप हो जाता है या फिर वह सफलता से वंचित हो जाता है,वह अपने इष्ट से गुरु से मार्गदर्शक से भटक जाता है,और सारे दोष हमे या फिर अपने भाग्य को देता है,हम कभी किसिका नुकसान नहीं करते है सिर्फ उसकी बुद्धि को येसी चालना देते है की वह खुद ही खुद को बर्बाद कर देता है,वह हर बार अपनी बर्बादी का कारण खुद ही होता है हम नहीं और जिसके पास ज्ञान हो सदबुद्धि हो वह प्राणी इसी कारण से हर बार सफल हो जाते है,येसा कहकर शनि भगवान ने उन्हे आशीर्वाद प्रदान किया................................................

मै तो बस तना ही कह सकती हु की आप के पास येसी कुछ अनुभूतिओकी खदान है जैसे आप जानते थे की आप ज्योभी कार्य कर रहे है उनकी परिणाम क्या हो सकती है,जैसे परीक्षा नजदीक थी और आपको किसीसे प्रेम हुआ और आप फेल हुये या फिर नतीजा बुरा आया,तो यह करी है नवग्रहोका की उन्होने आपकी बुद्धि को येसी चालना दी की आप अपने मार्ग से ही भटक गये॰ जैसे आपकी कोई व्यवसाय है आप नयी माल खरीदना चाहते थे परंतु किसिने कह दिया अरे अभी तो मार्केट ठंडी है और फिर आपकी मानसिकता बदल गयी और कुछ दिन बाद आपको पता चला की आप ज्यो माल लेना चाहते थे अब उसकी कीमत बढ गयी फिर होगी पच्छ्याताप,तो येसी बहोत सारी उदाहरण है आपकी जीवन मे ज्यो आपसे ज्यादा बाकी लोग तो नहीं जानते है॰
ये तो आपकी हाथ मे है की आप फिर शिव की पूजा करे या न करे शिव के पास तो सब को ही जाना है,एक बात शास्त्र मे पायी जाती है कण-कण मे शिव है’’,अगर यह बात सच है तो आप कोई भी शिवलिंग पे साधना कीजिये सफलता मिलेगी,फिर चाहे वह पारद हो या मट्टी की शिवलिंग हो॰ आप किसिभी देवी/देवता की भी पूजन करेगे मतलब शिवपूजन अपने आप मे ही सम्पन्न हो गयी। तो इसी प्रकार से हर बार कही न कही हम बुद्धि की अयोग्य गति से सामना करेते है,अभी हम इस विषय पे सोच सकते है की भाग्य जाग्रण क्रिया किस प्रकार से हो सकती है,आनेवाली नव-वर्ष पर नयी चेतना एवं नयी उस्ताह की साथ भविष्य की नियोजन करनी ही है,और यह सफर साधनाये तहे करेगी और इस बार इस साधना की सामाग्री यही होगी की आपकी अमूल्य समय किसिभी कार्य से पहिले सोचने-समजने की लिए देनी है
ज्यादा कुछ लिखुगी तो शायद आपकी यह सोच बन जायेगी की आजकल ये क्या बात हो रही है,सभी लोग अपनी लेख की माध्यम से बोर कर रहे है,अब बहन ने भी यह कार्य की शुरुवात कर दी..........................


इसमे कुछ बाते अछि भी हो सकती है कुछ गलत भी लग सकती है परंतु आपको ज्यो भी सही लगे शायद वही सत्य है,अब एक ही कार्य करनी है साधना ओ को आसान बनाइये कठिन नहीं,कोई भी साधना बिना सोचे-समजे मत कीजिये...................
अब यहा से आगे होगी नव-वर्ष के संकल्प की तय्यारिया,क्या आप साथ है इन तय्यरियोको पूर्ण करनेमे ?
गुरुकृपा ही केवलम, 



जय निखिलेश्वर........................................