Friday 20 July 2012

|| श्री बगलामुखी समर्पणम् ||

ओम नमो श्रीबग्लामुखी - स्वरूपा ,
शत्रु संहार करो देवी अनुपा |
चरण तेरे कोमल कमल जैसे ,
जिसके ह्रदय मे वही देव जैसे ||
दुःख शुम्भ ने आ घेरा है मुज़को ,
मिटा क्लेश मैया भक्त कहे तुजको |
पीताम्बरा श्रीअपराजिता तू कहाई ,
जभी भक्त सुमरे तू करती सहाई ||
गदा - चक्र - पाश - शडख् हाथो सोहे ,
चतुर्भुज रूप तेरा शिव को मोहे |
योग दीक्षा हिन् को न होता ज्ञान तेरा ,
पूर्नाभीशिक्त भी न जान पाए धाम तेरा ||
राज-राजेश्वरी अमित बलशाली ,
सर्वार्थ पूर्ण करी श्री हंसकाली |
श्रीदिव्य सिद्ध धाम गुरु रूप धरी ,
जय श्री बागला शक्त मनोरथ पूर्ण करो ||
जिव्हा पकड़कर गदा उठाएं ,
पाश डाल शत्रु को मिटाए  |
उन्मत नेत्र बक वाहन सुहाए ,
भक्त रक्षा हेतु शीघ्र ही धाए ||
सिद्धि - भक्ति - पूर्ण को है विश्वास तेरा ,
ब्रम्हास्त्र मंत्र -रूप है आधार मेरा |
लोक- लाज -प्रपंच कर्म त्यागा ,
श्री बागला चरण कमल मन लागा ||

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