हम लोग कई साधनाये करते है परंतु क्या किसिका भाग्य जागरण हुआ है, नहीं हुआ है और नहीं होगा क्यूकी
मस्तिष्य मे एक भटकन है ज्यो आपको सफल नहीं होने देती है। जबकि मेरी भाषा मे भटकन से बड़ी
इस दुनिया मे और कोई पाप है ही नहीं...........
एक छ्योटीसी
कहानी बताती हु.
एक राजा
थे जिनके पास बहोत ज्यादा संपत्ति थी और उनकी मित्रता देवी-देवताओ से थी,एक दिन राजा और
शनि देव साथ मे किसी विशेष प्रकार एक खेल खेल-रहेते,तो उस समय शनि देव खेल मे हार गये और
शनिजी पे सभी की हसी की कारण उन्हे बहोत ज्यादा गुस्सा आ गया,तब शनिजी ने राजा से कहा ‘हे राजन , ज्यादा हसो मत कुछ ही डीनो मे मई तुम्हारी राशि मे आ रहा
हु और तुम्हें मेरी साढ़ेसाती चालू हो जाएगी॰ परंतु तुम मेरे मित्र हो इसीलिये मेरी
टेढ़ी दृष्टि से बचने की लिए तुम मुजे कोई भी एक वरदान मांगो,ताकि तुम्हें
राहत मिले ’ येसा कहेते हुये शनि देव अंतरध्यान हो गये। अब राजाजी सोच मे पद गए की येसे समय मे मई
क्या कर सकता हु,तब उन्होने सोचा की मै यह बात अपनी तीनों रानियो को बताऊ ताकि वही हल
निकाल दे।
राजाजी ने यह बात अपनी पहिली रानी को बताई तो इस पे उन्होने कहा की ‘ आप शनि देव जी से
बहोत सारी धन मांगो,क्यूकी आपके पास धन रही तो आपको हर
कोई मान-सम्मान देगे
और राज्य भी अच्येसे चल सकेगी,सभी कार्य सुख-सुविधा से संपन्न होगे,हर सुख आपके पास होगी।
फिर यह बात उन्होने अपनी दूसरी रानी को बताई तो इस पे उन्होने कहा की ‘ आप शनि देवजी से उत्तम आरोग्य मांगिये,अगर आरोग्य ही न हो तो धन का क्या कर सकते,सारी धन तो अस्वस्थ शरीर मे ही खर्च हो जायेगी ’।
फिर यह बात उन्होने अपनी दूसरी रानी को बताई तो इस पे उन्होने कहा की ‘ आप शनि देवजी से उच्च कोटी की ज्ञान और सदबुद्धि
मांगिये,अगर आपके पास ज्ञान व सदबुद्धि
हो तो आरोग्य और धन की हानी कभी हो ही नहीं सकती ‘
इस प्रकार से तीनों रानीयो की बात सुनकर राजा ने शनिदेवजी से उच्च कोटी की ज्ञान एवं
सदबुद्धि की वरदान मांगी,राजा की कथन सुनकर शनिजी ने कहा “ हे राजन आप फिर से एक बार जीत गये, अब आपकी साढ़ेसाती मे कुछ भी हानी नहीं
हो सकती है। जब मै आपको ज्ञान और सदबुद्धि दे दुगा तो आप मेरे हर कष्ट से बच जायेगे,क्यूकी जिसके पास ज्ञान और सदबुद्धि हो वह इस संसार मे कभी
दुखी नहीं हो सकता,उसके पास हर बात
से लढने की क्षमता होती है,मै ही नहीं बल्कि हम नवग्रह देवता हर प्राणी को येसी बुद्धि को
चालना देते है की उसके हाथ से पाप
हो जाता है या फिर वह सफलता से वंचित हो जाता है,वह अपने इष्ट से गुरु से मार्गदर्शक
से भटक जाता है,और सारे दोष हमे या फिर अपने भाग्य को देता है,हम कभी किसिका
नुकसान नहीं करते है सिर्फ उसकी बुद्धि को येसी चालना देते है की वह खुद ही खुद को
बर्बाद कर देता है,वह हर बार अपनी बर्बादी का कारण खुद ही
होता है हम नहीं और जिसके पास ज्ञान हो सदबुद्धि हो वह प्राणी इसी कारण से हर बार सफल हो जाते है,येसा कहकर शनि भगवान ने उन्हे आशीर्वाद
प्रदान किया................................................
मै तो बस ईतना ही कह सकती हु
की आप के पास येसी कुछ अनुभूतिओकी खदान है जैसे आप जानते थे की आप ज्योभी कार्य कर रहे है उनकी
परिणाम क्या हो सकती है,जैसे परीक्षा नजदीक थी और आपको किसीसे प्रेम हुआ और आप फेल
हुये या फिर नतीजा बुरा आया,तो यह करी है नवग्रहोका की उन्होने आपकी बुद्धि को येसी चालना दी की आप अपने मार्ग से ही भटक गये॰
जैसे आपकी कोई व्यवसाय है आप नयी माल खरीदना चाहते थे परंतु किसिने कह दिया अरे
अभी तो मार्केट ठंडी है और फिर आपकी मानसिकता बदल गयी और कुछ दिन बाद आपको पता चला
की आप ज्यो माल लेना चाहते थे अब उसकी कीमत बढ गयी फिर होगी पच्छ्याताप,तो येसी बहोत सारी उदाहरण है आपकी जीवन
मे ज्यो आपसे ज्यादा बाकी लोग तो नहीं जानते है॰
ये तो आपकी हाथ मे है की आप फिर शिव की पूजा करे या न करे शिव के पास तो सब को
ही जाना है,एक बात शास्त्र मे
पायी जाती है “कण-कण मे शिव है’’,अगर यह बात सच है
तो आप कोई भी शिवलिंग पे साधना कीजिये सफलता मिलेगी,फिर चाहे वह पारद हो या मट्टी की शिवलिंग हो॰ आप किसिभी
देवी/देवता की भी पूजन करेगे मतलब शिवपूजन अपने आप मे ही सम्पन्न हो गयी। तो इसी
प्रकार से हर बार कही न कही हम बुद्धि की अयोग्य गति से सामना करेते है,अभी हम इस विषय पे सोच सकते है की भाग्य
जाग्रण क्रिया किस प्रकार से हो सकती है,आनेवाली नव-वर्ष पर नयी चेतना एवं नयी उस्ताह की साथ भविष्य
की नियोजन करनी ही है,और यह सफर साधनाये
तहे करेगी और इस बार इस साधना की सामाग्री यही होगी की ‘आपकी अमूल्य समय किसिभी कार्य से पहिले
सोचने-समजने की लिए देनी है’
ज्यादा कुछ लिखुगी तो शायद आपकी यह सोच बन जायेगी की आजकल ये क्या बात हो रही
है,सभी लोग अपनी लेख
की माध्यम से बोर कर रहे है,अब बहन ने भी यह कार्य की शुरुवात कर
दी..........................
इसमे कुछ बाते अछि भी हो सकती है कुछ गलत भी लग सकती है परंतु आपको ज्यो भी
सही लगे शायद वही सत्य है,अब एक ही कार्य करनी है साधना ओ को आसान बनाइये कठिन नहीं,कोई भी साधना बिना सोचे-समजे मत कीजिये...................
अब यहा से आगे होगी नव-वर्ष के संकल्प की तय्यारिया,क्या आप साथ है इन तय्यरियोको पूर्ण
करनेमे ?
गुरुकृपा ही केवलम,
जय
निखिलेश्वर........................................
No comments:
Post a Comment